कण कण में श्री राम

शीर्षक -कण-कण मे श्रीराम-
भारत वर्ष के कण-कण में भगवान श्री राम जी का वास है,यह सच है कि हरि अनंत हरि कथा अनंता,कहई सुनहिं बहुबिधि सब संता.।।इस प्रसंग में महर्षि बाल्मीकि और देवर्षि नारद के बीच का संवाद है..बाल काण्ड के प्रथम सर्ग में महर्षि बाल्मीकि नारद  जी से अनेक गुणों का बखान कर ऐसे सर्वगुण सम्पन्न महानायक का नाम पूछते हैं-“एक ही पुरूष का लक्ष्मी ने अपने समस्त रूपों के साथ आश्रय लिया है?”नारद जी कहते हैं-“इन सभी गुणों से जो संपन्न हो ऐसा व्यक्ति तो देवताओं में भी नहीं,परन्तु हाँ,मनुष्यों में एक राम सभी सद्गुणों से संपन्न पुरूष है”।रामायण रामचंद्र नामक नरोत्तम की कथा है।।
श्रीराम को मर्यादा पुरूषोत्तम कहा जाता है क्योंकि बचपन से जीवन पर्यन्त राम के जीवन का कोई भी भाग हम देखें तो उनके जीवन में कहीं भी मर्यादा का उल्लंघन हुआ हो, ऐसा देखने को ही नहीं मिलता.।
विद्यार्थी जीवन, गृहस्थ राजा, पिता-पुत्र ,पति-पत्नी, स्वामी-सेवक , गुरू-शिष्य अथवा भाई के रूप में सर्वत्र एक नियमित जीवन दिखाई देता है. विकारों, विचारों अथवा व्यवहार में उन्होंने कहीं भी मर्यादा नहीं छोडी ।।


बौद्ध,जैन और इस्लामी रामायण भी जो अत्यंत लोकप्रिय हुए हैं. मैक्समूलर, जोन्स, कीथ, ग्रीफिथ, बारान्निकोव जैसे विद्वान राम के त्यागमय, सत्यानिष्ठ जीवन से आकर्षित थे. किसी भी काल्पनिक पात्र का अन्य देशों, अन्य धर्मों में हजारों वर्षों से ऐसे प्रभाव का टिका रहना संभव नहीं. भारतीय मानस को तो राम कभी काल्पनिक लगे ही नहीं. वे घर -घर में इष्ट देव की तरह पूजे जाते हैं एवं जनमानस ने उनकी छवि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के रूप में अपने हृदय में अंकित की है।जोकि सकते हैं मृत्युलोक में भगवान राम जैसा न जनमानस हुआ है और न होगा।।


डॉ सरिता शुक्ला (लखनऊ)