सच्ची मानवता ही ईश्वर पूजा है.....


विश्व  में प्रेम शांति व संतुलन के साथ साथ मनुष्य जन्म को सार्थक करने के लिए मनुष्य में मानवीय गुणों का होना अतिआवश्यक है मनुष्य अपना जीवन अपने कर्तव्य का पालन करते हुए सत्यनिष्ठ पर रह कर ईमानदारी से जीये,,।सभी प्राणियों से निष्पक्ष रूप से व्यवहार करें,किसी के ऊपर अत्याचार न करें और सब के प्रति दयाभाव रखें यही सच्ची हमारी मानवता है।।


इस पृथ्वी पर मानव तो बहुत है मगर सही मायने में मानव वही है जिसमें मानवता है ।जिस व्यक्ति में मानवता नही है वह मानव के रूप में दानव है मानवता यानि इंसानियत उसे कहते है जब दुसरों के दुखों को देख कर हमारे मन में दया का भाव उत्पन्न हो परंतु जब दुसरों को दुखी देख कर हमारे दिल में दया का भाव उत्पन्न ना हो तब हमे समझ लेना चाहिए कि हमारे अंदर की इंसानियत मर चुकी है, क्योंकि सच्चा इंसान वही है जो अपने स्वार्थ से परे हो कर दुसरों के दुखों को हरने का प्रयत्न करें । कई बार ऐसा होता है कि हम चाह कर भी किसी के दुख को हर नही सकते, परंतु हम मानवता के नाते सांत्वना के मात्र दो शब्द कह कर उसके दुख को कम करने का प्रयास जरूर कर सकते है  यदि हम मनुष्य एक दूसरे के प्रति मानवता व्यक्त नही करेंगे तो इस धरती पर चारो ओर निराशा ही निराशा फैल जायेगी इसीलिए हमे केवल अपने हित और स्वार्थ तक ही सीमित नही रहना चाहिए बल्कि प्रत्येक मनुष्य को एक दूसरे के प्रति मनुष्यता दिखानी चाहिए ।यही सच्ची मानवता है।।


मनुष्य को ऐसा जीवन जीना चाहिए जिससे हमारे समाज में परोपकार और सहयोग की भावना पैदा हो  जिस तरह प्रकृति अपना सब कुछ दुसरों पर न्योछावर कर देती है  उसी प्रकार मनुष्य को भी यह सोचना  चाहिए  कि उसका जन्म मानव कल्याण के लिए हुआ है और उसे  खुशी-खुशी अपना सारा जीवन मानव कल्याण में समर्पित कर देना चाहिए
यही सच्ची मानवता है ।।


डॉ सरिता शुक्ला (लखनऊ)