लॉकडाउन में 'देवशील मेमोरियल' द्वारा साहित्यिक पहल।
पटना
8 अप्रैल से कोरोना के कारण लॉकडाउन के समय व्यक्तिगत रूप से मानसिक तनाव से उबरने के लिए दिल्ली की साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था 'देवशील मेमोरियल' ने कुछ जाने माने साहित्यकारों के साथ 'लाइव' आने की पहल शुरू की है,जिसमें अभी तक 3 लाइव हो चुके हैं जिसमें पहले लाइव की शुरुआत प्रसिद्ध साहित्यकार 'राशदादा राश' से हुई, फिर आगे इस श्रृंखला पटना के शायर एवं 'देवशील मेमोरियल' के राष्ट्रीय सचिव मो. नसीम अख्तर तथा भागलपुर के युवा कवि 'पूर्णेन्दु चौधरी' ने लाइव आकर अपनी प्रस्तुति दी।
'देवशील मेमोरियल' की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं संस्थापिका 'रश्मि अभय' ने बताया कि अभी के तनाव पूर्ण और कैद भरी ज़िन्दगी में दूर रहकर भी एक दूसरे से जुड़े रहने का और सुनने का ये एक खूबसूरत जरिया है। इसी बहाने ज़िन्दगी में रफ़्तार कायम है। रश्मि अभय ने ये भी कहा कि ईश्वर करे कि ये कोरोना का आपदा पूरे विश्व से शीघ्र समाप्त हो और सभी अपने सामान्य जीवन में लौट सके, मगर जब तक ऐसी परिस्थितियाँ बनी हुई है वैसे में साहित्य से जुड़े हर व्यक्ति के लिए ऑनलाइन काव्यगोष्ठी एवं लाइव आना सबसे जुड़ने का और खुद को व्यक्त करने का एक बहुत ही उम्दा तरीका है।
'देवशील मेमोरियल' के पहले लाइव में दार्शनिक/फ़क़ीर/चिंतक एवं 'जीना चाहता हूँ मरने के बाद फाउंडेशन 1972 के चेयरमैन तथा संस्थापक 'राशदादा राश' ने..
*बाट मैं जोहूँ*
तनहा रहकर बाट मैं जोहूँ
यादों में तेरी दिल बहलाऊँ
अश्क गिरे तो अधर को चूमे
दिल को आग लगाता हूँ ।
अपनी रचना मुख्य रूप से 'देवशील मेमोरियल' को समर्पित किया। गयातव्य हो कि 'राशदादा राश' 'देवशील मेमोरियल' के वरिष्ठ संरक्षक भी हैं।