लॉकडाउन में 'देवशील मेमोरियल' पेज पर लगातार लाइव हो रहें साहित्यप्रेमी ।

पटना


कोरोना जैसी महामारी से बचने के लिए हर व्यक्ति लॉकडाउन का पालन करते हुए अपने घरों में सीमित है, ऐसे में अगर आज के दौर में सोशल साइट नही होता तो शायद बहुत सारे अवसाद के कारण उभर कर आते। ऐसे समय में व्यक्तिगत रूप से मानसिक तनाव से उबरने के लिए दिल्ली की साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था 'देवशील मेमोरियल' ने कुछ जाने माने साहित्यकारों के साथ 'लाइव' आने की पहल शुरू की जिसमें अभी तक तकरीबन 17 लाइव हो चुके हैं।
अभी तक लाइव आ चुके साहित्यकारों की श्रृंखला में आगे कलकत्ता की मशहूर शायरा रौनक अफ़रोज़, कलकत्ता से ही कवियत्री आशा पांडेय तस्लीम तथा युवा कवि संदीप गुप्ता, लखनऊ के वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. विश्वभर शुक्ल, मुम्बई से गीतकार मुअज़ज़्म अज़्म, हजारीबाग से कवियत्री मोना बग्गा एवं दिल्ली की वरिष्ठ कवियत्री ममता किरण ने शिरकत की।इस लाइव का मुख्य उद्देश्य आज के तनावपूर्ण परिवेश में कम से कम ऑनलाइन अपने मित्रों से मिलकर अपने विचारों का आदान प्रदान है करते हुए अपनी अपनी रचनाओं से अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति है।
'देवशील मेमोरियल' की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं संस्थापिका 'रश्मि अभय' ने बताया कि विश्व व्यापी आपदा नें जहां हमें संयमपूर्ण जीवन की तरफ मोड़ा वहीं अपने परिवार के साथ भी समय व्यतीत करने का अवसर मिला। साथ ही मित्रो के साथ लाइव आकर उन्हें सुनना दूर रहकर भी एक दूसरे से जुड़े रहने का एक खूबसूरत जरिया है। इसी बहाने ज़िन्दगी में रफ़्तार कायम है। रश्मि अभय ने ये भी कहा कि ईश्वर करे कि या कोरोना का आपदा पूरे विश्व से शीघ्र समाप्त हो और सभी अपने सामान्य जीवन में लौट सके, मगर जब तक ऐसी परिस्थितियाँ बनी हुई है वैसे में साहित्य से जुड़े हर व्यक्ति के लिए ऑनलाइन काव्यगोष्ठी एवं लाइव आना सबसे जुड़ने का और खुद को व्यक्त करने का एक बहुत ही उम्दा तरीका है।