LOCKDOWN पर (धरा को समर्पित)
आज धरा को खुद पर इतराने दो
भोर में सूरज संग स्वर्णिम रंग बिखेरने दो
धरा के आंचल को नील गगन में उड़ने दो
फूलों की खुशबू से तन मन भिगोने दो
आम की मंजरियों पर गीत कोयल के सुनने दो
ठंडी ठंडी बयार में उसे खो जाने दो
शबनम के मोती संग लाज सा झिलमिलाने दो
पेड़ पौधों की छांव में ममत्व महसूस करने दो
मन पर छंद खुशी की रचने दो
चांद के साथ दो चार बातें करने दो
रात तारों की छांव में बिताने दो
ये दिन लौट कर वापस नहीं आएंगे
अब उसे थोड़ा सुकून से जीने दो।
........ सोनू सिंहल