ग़ज़ल का ककहरा पुस्तक विमर्श आरिणी चैरिटेबल फाउंडेशन द्वारा आयोजित किया गया 

 


 


भोपाल
लाकडाउन के समय का सार्थक उपयोग हो इस उद्देश्य को लेकर आरिणी चैरिटेबल फाउंडेशन ने आज राज नवादवी की पुस्तक "ग़ज़ल का ककहरा"  का पुस्तक विमर्श का आनलाइन आयोजन किया। बेल्जियम के कपिल कुमार ने इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की और कहा कि यह पुस्तक गजल सीखने की चाह रखने बालों के लिए जानकारी का अच्छा स्रोत है।  बर्लिन की योजना जैन ने कहा कि यह पुस्तक  गजल में रूचि रखने बालों के लिए एक बेहतर उपहार है। कार्यक्रम का आयोजन एवं सरस संचालन आरिणी चैरिटेबल फाउंडेशन की अध्यक्ष डॉ मीनू पाण्डेय ने किया। भोपाल शहर के जाने माने शायर आबिद काज़मी ने कहा कि ग़ज़ल को लिख पाना ईश्वर का आशीर्वाद है और यह पुस्तक उस आशीर्वाद को फलीभूत करने में मदद करेगी। 
भोपाल की प्रसिद्ध शायरा डाॅ आॅरीना अदा ने कहा कि ग़ज़ल के शिल्प की जानकारी देने के लिए यह पुस्तक अति उपयोगी है। नोयडा के अनिल कुल श्रेष्ट ने कहा कि ग़ज़ल सीखने के लिए यह पुस्तक सरलतम तरीके से समस्त जानकारी देती है। नई दिल्ली के 
सिद्धार्थ पाण्डेय ने कहा कि उन्हे गजल की विभिन्न बहरों की समुचित जानकारी इसी पुस्तक से मिली। 
पुस्तक के लेखक एवं सुप्रसिद्ध गजलकार. राज नवादवी ने पुस्तक लेखन के अपने अनुभवों को साझा किया और एक गजल भी सुनाई। डॉ मीनू पाण्डेय ने कहा कि यह पुस्तक गजल सीखने बालों के लिए मील का पत्थर साबित होगी। मनोज जैन ने कहा कि सन्दर्भित पुस्तक की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह पुस्तक गजल से विद्यार्थियों से लेकर स्थापित गजलकारों तक के ज्ञान में नया जोड़ने की दमखम रखती है लेखक राज नवादवी जी ने गजल के बेसिक कॉन्सेप्ट को बड़ी सूझ बूझ से क्लियर किया है "ग़ज़ल का ककहरा" गजल लिखने वालों के लिए अनमोल उपहार है।डॉ मोहम्मद आजम ने कहा कि हर नये पुराने शायर के लिए यह पुस्तक बहुत फायदेमंद है। डॉ अंबर आविद ने कहा कि पुस्तक की भाषा ऐसी है कि गजल की बारीकियाँ हर किसी को आसानी से समझ में आ जाएगी।