भोपाल। विधायको की मंडी सजी हैं, बोलो खरीदोगे? मध्यप्रदेश मे क्या यह संभव हैं। यहाँ जिस तरह से विधायको की खरीद-फरोख्त का मामला चला तो मरहूम शायर मजरूह सुल्तान पुरी की एक फिल्मी गज़ल के बोल याद आ रहे हैं- “हम हैं मता-ए-कूचा-ओ- बाजार की तरह, उठती है हर निगाह खरीदार की तरह” क्या इन आरोपो मे दम हैं या फिर सिर्फ सियासी शिगुंफा हैं। जब बात निकली तो दूर तलक जा पहुंची, क्योकि दिग्विजय सिंह द्वारा भाजपा पर विधायक खरीदी-फरोख्त के लगाए गए आरोप पर यदि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मुहर लगाई हैं तो फिर यदि आरोपो मे दम हैं तो फिर इसमे छुपी चिंता और उसके साथ खड़ी हो गई चुनौती से इंकार नहीं किया जा सकता। राज्य की सरकार मे रहते अगर कॉंग्रेस नेता ऐसे गंभीर आरोप लगा रहे हैं कि उनके विधायको को खरीदा जा रहा हैं तो फिर सवाल कॉंग्रेस के मैनेजमेंट पर भी खड़े होते हैं। सवाल भाजपा द्वारा दिये जा रहे प्रलोभन, उनके उद्देश्य तो फोकट मे पैसा लेकर कमलनाथ को समर्थन देते रहने तक सीमित नहीं रहता। बड़ा सवाल यही पर खड़ा होता हैं कि आखिर यह स्थिति क्यो निर्मित हुई? गत दिनो राज्य कैबिनेट की बैठक मे मुख्यमंत्री ने विधायको को भरोसे मे नहीं लेने और संतुष्ट नहीं कर पाने के लिए मंत्रियो की खिचाई की थी। सवाल फिर हैं कि जिन मंत्रियो को दूसरे विधायको से तालमेल बनाकर उन्हे पार्टी और सरकार के साथ जोड़े रखने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी, क्या वह व्यवस्था चरमरा गई हैं तो क्या प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया, जिन्होने मंत्रियो से संवाद स्थापित कर संगठन की धमक का एहसास कराने की कोशिश शुरू की, क्या इससे मंत्रियो और विधायको के बीच बढ़ गई दूरियाँ समय रहते तक खत्म हो जाएंगी? सबलगढ़ के कॉंग्रेस विधायक बैजनाथ कुशवाह ने मीडिया के सामने आकर मंत्री पद के साथ 25 करोड़ देने की पेशकश का गंभीर आरोप लगाया, तो निर्दलीय, सपा, बसपा समेत कई कॉंग्रेस विधायको के इधर-उधर होने की खबर भी चर्चा मे हैं। कॉंग्रेस के मंत्री अब भाजपा विधायको द्वारा पाला बदलने का दावा भी बढ़-चढ़कर करने लगे है। ऐसे मे बड़ा सवाल यह है कि क्या मध्यप्रदेश मे विधायको की बोली लगाई जा रही हैं, क्या इन आरोपो मे दम हैं क्योकि भाजपा इस से इंकार कर रही हैं, तो सवाल है कि आखिर वह विधायक कौन और कितने हैं जो भाजपा और कॉंग्रेस के चुनाव चिन्ह पर चुनाव जीते और अब पाला बदलने की तैयारी मे हैं। क्या इनमे से कितने विधायक सिर्फ क्रॉस वोटिंग तक अपने को दाव पर लगाएंगे या फिर कर्नाटक की तर्ज पर इस्तीफे की लाइन मध्यप्रदेश मे भी बढ़ती नजर आएंगी।
विधायको की मंडी, बोलो खरीदोगे.......