प्रदेश की सत्ता अब किसके हाथ, कॉंग्रेस या भाजपा?

भोपाल। सवा महीने सत्ता मे राज करने के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया हैं। नाथ ने इस्तीफा देने से पहले दिल्ली मे विधि विशेषज्ञो और सहयोगीयो से राय मशविरा किया। चर्चा के बाद राय यह बनी कि फ्लोर टेस्ट के दौरान सरकार गिरे, इससे बेहतर इस्तीफा देना होगा। देर रात मंत्री मे इस्तीफा देने का फैसला किया। कमलनाथ ने राज्यपाल को सौंपे अपने इस्तीफे मे कहा कि- 40 साल के सार्वजनिक जीवन मे हमेशा से शुचिता की राजनीति की हैं और प्रजातांत्रिक मूल्यो को तरजीह दी हैं, प्रदेश मे पिछले दो हफ़्तों मे जो कुछ भी हुआ, वह प्रजातांत्रिक मूल्यो के अवमूल्यन का नया अध्याय हैं। राज्यपालराज्यपाल ने इस्तीफा स्वीकार करते हुए सरकर का गठन तक नाथ और उनके मंत्रिमंडल को बतौर कार्यवाहक काम करने को कहा।


वही, कॉंग्रेस के जाने के बाद अब सवाल हैं कि भाजपा से अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? इस सवाल पर सियासी गलियारों में दिनभर सरगर्मी रही। पार्टी सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शिवराज, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर सबसे आगे हैं। फिर नरोत्तम मिश्रा के नाम की चर्चा है। दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह ने तोमर से अलग से बात की है। धर्मेंद्र प्रधान से भी दोनों की बात हुई। माना जा रहा है कि शिवराज-तोमर में से ही एक नाम को पार्टी आलाकमान प्राथमिकता दे सकती है। नरोत्तम को सरकार में पावरफुल दर्जा मिलेगा।
पहले माना जा रहा था कि शनिवार को भाजपा की बैठक बुलाकर विधायक दल का नेता चुन लिया जाएगा, लेकिन कोरोनावायरस के चलते बैठक सोमवार तक टाल दी गई। अब यह बैठक 23 मार्च को प्रस्तावित है। इसमें दिल्ली से पर्यवेक्षक के रूप में धर्मेंद्र प्रधान और प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे भोपाल आ सकते हैं। 25 मार्च को नवरात्र की घटस्थापना के साथ ही भाजपा सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है।
 इधर, सिंधिया के 22 बागी विधायको का भविष्य अब उपचुनाव के बाद ही साफ़ हो पाएगा। 22 विधायको के इस्तीफे और दो विधायको के निधन के बाद दो सीटो के साथ ही प्रदेश कि 24 विधानसभा सीटो पर अब माह के भीतर उपचुनाव होंगे। उपचुनाव का नतीजा तय करेगा कि नई सरकार बहुमत मे रहेगी या अस्थिरता के बीच झूलेगी। 18 मे से 16 साइट ग्वालियर-चंबल की हैं। और इस क्षेत्र मे सिंधिया का खासा प्रभाव हैं। उपचुनाव मे सिंधिया के साथ ही यहाँ केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और शिवराज सिंह चौहान फैक्टर भी काम करेंगे। कॉंग्रेस सिंधिया के बिना ही इन सीटो पर उपचुनाव मे उतरेगी।