नई दिल्ली। सात साल पहले 12 दिसंबर 2012 की रात को निर्भया के साथ चार दरिंदों ने की थी हैवानियत हद पार। न्याय के लिए सात से इंतजार कर रही हर वो नजर जो किसी की माँ हैं किसी की बेटी हैं, आज सुकून मे हैं कि आखिरकार लंबे समय के बाद ही सही लेकिन निर्भया को न्याय मिला। निर्भया के दोषी मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय ठाकुर को शुक्रवार सुबह 5:30 पर फांसी पर लटका दिया गया। 6:10 बजे को मेडिकल अफसर द्वारा चारो को मृत घोषित कर दिया गया। बताया जा रहा हैं फांसी के एक रात पहले चारो दोषी को नींद नहीं आई, चारो ने बैचेनी मे तैनात पुलिसकर्मियो से यही पूछा कर निकाल दी कि कोर्ट से कोई नया ऑर्डर आया क्या? दोषियो को आखिरी समय से भी आशा थी कि उनका वकील उन्हे इस बार फिर बचा लेगा जैसे इससे पहले चार बार फांसी टालवा दी थी। बताया जा रहा है कि चारो दोषियो मे से एक आरोपी पवन गुप्ता अपनी फांसी को लेकर तीनों के मुक़ाबले ज्यादा घबराया हुआ था, एक रात पहले चारो मे से दो मे डिनर किया और दो ने डिनर नहीं किया था। 20 मार्च को सुबह 3:30 बजे चारो दोषियो को उठाया, उन्हे नहलाया गया, पवन को जब कपड़े बदलने के लिए कहा तो उसने केसीएच नहीं कहा और रोने लगा। पवन अफसरो के सामने फूट-फूट कर रोने लगा और बोला “मुझे माफ कर दो, मैं मरना नहीं चाहता, मुझे माफ कर दो”।
एक कहावत हैं कि “भगवान के घर देर है, लेकिन अंधेर नहीं” हमारा न्यायालय न्याय करने मे देरी जरूर कर सकता हैं लेकिन किसी भी बेकुशूर को सजा और दोषी को रिहा नहीं सकता हैं। निर्भया के केस को देखकर यह ओर भी सही और पक्का हो जाता हैं कि हमे न्याय सरकार और ईश्वर पर भरोसा रखना चाहिए।
“सत्येमेव जयते:”