भोपाल। पिछले दिनो से चल रहा सत्ता का घमासान युध्द अभी भी अपनी तेजी पकड़े हुये हैं। राजनीति का ऐसा खेल शायद ही पहले कभी जनता को देखने को मिला होगा। जहां सत्ता के लिए नेताओ, मंत्रियो ने अपनी सारी मर्यादाए लार्घ दी हैं।
सत्ता किसके हाथो मे जाएगी? कॉंग्रेस या भाजपा? सभी के दिमाग मे यही सवाल घूम रहा हैं। वही, सुप्रीम कोर्ट मे मंगलवार सुबह हुई अहम सुनवाई। इसमे कोर्ट ने विपक्ष की 12 घंटे मे फ्लोर टेस्ट कराने की मांग पर विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति और मुख्यमंत्री कमलनाथ को नोटिस जारी कर बुधवार सुबह जबाव देने का निर्देश दिया। इसके बाद कमलनाथ ने राज्यपाल लालजी टंडन को लिखा गया दूसरा पत्र सामने आया। राज्यपाल के पत्र का जबाव देते हुये मुख्यमंत्री ने लिखा कि “आपने कहा कि 17 मार्च तक फ्लोर टेस्ट नहीं कराने पर यह माना जाएगा कि मुझे वास्तव मे बहुमत नहीं हैं” आपकी यह बात आधारहीन व अंसवैधानिक हैं।
बैंगलुरु मे रुके कॉंग्रेस के बागी विधायको ने प्रेस कॉफ्रेंस मे कहा कि मुख्यमंत्री जी के पास हमारे लिए 5 मिनट का भी समय नहीं हैं। उनके लिए हमेशा हर कैबिनेट मे पहला प्रस्ताव छिंदवाड़ा का होता हैं। क्या बाकी मप्र नहीं हैं?
विधायको के द्वारा दिये बयान को गलत साबित करने के लिए जनसम्पर्क मंत्री पीसी शर्मा ने भोपाल मे कॉफ्रेंस कर कहा कि बेंगलुरु मे जितने भी विधायक हैं, उन्हे बंधक बनाकर रखा गया हैं। उन्होने जो भी कुछ कहा हैं, वह दबाव मे आकर कहा हैं। पहले जो मुख्यमंत्री की प्रशंसा करते रहे, वही मंत्री अब विरोध कर रहे हैं।
सीएम कलमनाथ द्वारा तीन दिनो मे की गई नियुक्तियो के विरोध मे शिवराज सिंह और गोपाल भार्गव दोपहर मे राजभवन पहुंचे। उन्होने राज्यपाल को पत्र सौंपा और कहा- जब सरकार अल्पमत मे हैं, ऐसे मे वह नियुक्तियां कैसे कर सकती हैं। इन पर तत्काल रोक लगाई जाए। संवैधानिक भूमिका वाले पदो पर नियुक्ति सही नहीं हैं। उन्होने मुख्य सचिव के आदेश पर भी सवाल खड़े किए। साथ ही विद्धुत नियामक आयोग मे होने वाली नियुक्ति रोकने की मांग की। उल्लेखनीय हैं कि सोमवार शाम शिवराज ने राज्यपाल के सामने विधायको की परेड कराई थी।