सूचना दिये बगैर बाल कल्याण ने बच्चो को विदेशी दंपति को सौंपा

भोपाल। बालकल्याण समिति के सदस्यो ने तीन साल पहले बच्चो को लीगल फ्री किया और फिर विदेश के रहने वाले दंपति को गोद दे दिया।


जानकारी मिलने पर बाल कल्याण समिति ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है। एसओएस बालग्राम से पहुंचे दस्तावेजों से समिति को जानकारी मिली कि चाइल्ड लाइन ने बच्चे देखभाल व संरक्षण के लिए सौंपे थे। समिति अब मामले में जांच में जुट गई है कि देखरेख व संरक्षण के लिए बालगृह में रखे गए बच्चो को लीगल फ्री करने की प्रोसेस क्यो की गई। एसओएस बालग्राम ने जानकारी दी कि बच्चों को तीन साल पहले लीगल फ्री किया गया। इस दौरान बच्चे बकायदा अपनी दादी से मिलते रहे। बालग्राम ने दादी को लीगल फ्री करने की जानकारी नहीं दी। यही नहीं लीगल फ्री होने के तीन साल बाद जनवरी 2020 में बच्चे अमेरिका के दंपती को सौंपे गए हैं। इसकी जानकारी एसओएस बालग्राम ने वर्तमान बाल कल्याण समिति को  नहीं दी। वहीं दादी ने शुक्रवार को बाल आयोग पहुंचकर पोते और पोती को विदेश से वापस लाने के लिए आवेदन दिया है। मामले में संज्ञान लेते हुए आयोग ने कलेक्टर, आईजी और महिला बाल विकास विभाग के आयुक्त से जांच रिपोर्ट मांगी है। बाल कल्याण समिति ने प्रारंभिक जांच में पाया कि बच्चो को गलत तरीके से विदेश भेजा गया है। लापरवाही कहां हुई, अब समिति उसके दस्तावेजी प्रमाण जुटा रही है। इधर, आयोग के सदस्य ब्रजेश चौहान का कहना है कि जेजे एक्ट के मुताबिक देखरेख व संरक्षण के लिए बालगृह में रह रहे बच्चे गोद नहीं दिए जा सकते।


 
सूत्रो के मुताबिक चाइल्ड लाइन ने 2015 में अपनी रिपोर्ट तत्कालीन बाल कल्याण समिति को सौंपी  थी। इसमें उन्होने  बताया कि बच्चे देखरेख व संरक्षण के लिए छोला पुलिस थाने ने सौंपे  हैं दस्तावेजो  में बकायदा दादी के अंगूठे के निशान, चाइल्ड लाइन के फॉर्म-17 में हस्ताक्षर वेरीफिकेशन व छोले में घर का पता दिया हुआ था। इसके बावजूद एसओएस बालग्राम व शिशुगृह के आवेदन के बाद तत्कालीन बाल कल्याण समिति के सदस्य रेखा श्रीधर, सीमा अग्रवाल, सत्येंद्र कुमार व मोहन चौकसे ने 2017 बच्चो को लीगल फ्री कर दिया।