भोपाल। भोपाल स्मार्ट सिटी के नाम कंपनी को पाँच साल मे सरकार और केंद्र से 382 करोड़ रुपए मिला। 382 करोड़ रूपए मे से इसका एक बड़ा हिस्सा सिर्फ डेकोरेटिव मे खर्च कर दिया हैं। कंपनी ने 55.50 करोड़ रुपए कंपनी ऐसे पाँच प्रोजेक्ट्स पर खर्च किए हैं, जिसमे सिर्फ डेकोरेटिव के नाम पर लाइटें, ग्रेनाइट चेयर, गार्डन में बोलार्ड, न्यू मार्केट की दो स्ट्रीट में टाइल्स, कई फुटपाथ पर महंगे पेवल ब्लॉक्स लगाए गए। इसी तरह 4 करोड़ रुपए का भोपाल प्लस एप भी बनवाया गया। 55.50 करोड़ खर्च करने के बाद भी न तो एप काम कर रहा हैं और न ही न स्ट्रीट लाइटें काम कर रही हैं। ज्यादातर फुटपाथ के ब्लॉक्स उखड़ चुके हैं। एप से न तो बिजली बिल जमा हो रहे, न ही सर्टिफिकेट के रजिस्ट्रेशन हो रहे।
कंपनी ने प्रॉपर्टी टैक्स देने वालों का डेटा तो एप पर अपलोड कर दिया, वाटर टैक्स, प्रॉपर्टी टैक्स जमा करने के लिए विंडो तो बना दी गई, लेकिन इसे नगर निगम के सर्वर से अब तक लिंक नहीं किया। बाकी सुविधाएं कब शुरू होंगी, इसका जवाब कंपनी के पास भी नहीं है। इसी तरह न्यू मार्केट में जो टाइल्स लगाए गए, वो बारिश में फिसलन भरे हो जाते हैं।
राजधानी को डस्ट फ्री सिटी के लिए 28 करोड़ में छह स्वीपिंग मशीनें किराए पर लीं, लेकिन ये सिर्फ एमपी नगर, वीआईपी रोड, लिंक रोड पर ही दिखती हैं। बाकी शेष जगहो पर वही हाल हैं, ओर सफाई की पारंपरिक व्यवस्था ही लागू है। 5 करोड़ रु. में 80 स्मार्ट डस्टबिन रखे गए। इनका उपयोग नहीं हुआ तो कंपनी ने प्रोजेक्ट बंद कर दिया ।
अंडरग्राउंड वायरिंग- एलटी-एचटी इलेक्ट्रिक लाइन को अंडरग्राउंड करने का काम अटका हुआ है। कंपनी का 10 करोड़ रु. का पीपीपी प्रोजेक्ट, इसमें कई कॉलोनियों में साढ़े तीन मीटर की डेकोरेटिव स्ट्रीट लाइट्स, 5.5 करोड़ रु. में पेविंग ब्लॉक लगाए गए। सुभाष स्कूल के सामने बने पार्क में पार्क पर 70 लाख रु. खर्च हुए। 8 हजार रु. कीमत की ग्रेनाइट चेयर लगाई गईं। बावजूद इतने खर्च के बाद भी पार्क की हालत कुछ यूं हैं की पूरा पार्क खाली पड़ा रहता हैं। इस अनावश्यक जगहो पर खर्च न करने कंपनी को भोपाल की नेचुरल ब्यूटी को बनाए रखने के लिए ग्रीन प्रोजेक्ट लाने थे। सफाई के ओर ज्यादा ध्यान देना चाहिए था। शहर मे तारो के मकड़जाल के लिए कुछ काम करना चाहिए था, ताकि आग लगाने जैसी घटनाओ को रोका जा सके। भोपाल प्लस एप से मिलने वाली बुनियादी सुविधाओं को कारगर ढंग से लागू करना था, ताकि लोग इसकी सहूलियत को समझ सकें।
भोपाल प्लस एप से प्रॉपर्टी टैक्स, वाटर टैक्स पेमेंट, बर्थ, डेथ और मैरिज रजिस्ट्रेशन, पेमेंट गेटवे जैसी 16 सुविधाएं देने का वादा था। शहर के 10 हजार उपभोक्ताओं ने एप डाउनलोड किया। लेकिन तीन साल बाद भी वे सिर्फ 6 काम इससे कर पा रहे हैं।