इंदौर। सबूतो के अभाव मे हनी ट्रैप की आरोपी श्वेता स्वप्निल जैन को कोर्ट द्वारा दोषमुक्त करने वाले फैसले को एसआईटी अब हाईकोर्ट में चुनौती देगी।
अहम बात ये है कि न्यायाधीश भरत कुमार व्यास ने श्वेता स्वप्निल को दोषमुक्त करने के आदेश में लिखा है फरियादी मोनिका यादव ने सात पेज के बयान में पांचवें पेज के तीसरे पैरे में सिर्फ इतना कहा है कि- मैंने सुना है कि श्वेता स्वप्निल के संपर्क श्वेता विजय जैन से भी बड़े लोगों से हैं। अन्य गवाहों के बयान में भी श्वेता स्वप्निल के संबंध में कोई भी तथ्य सामने नहीं आए हैं। स्वप्निल पर धारा 120 बी आपराधिक षडयंत्र की धारा लगाई गई है, पर उसके प्रमाण नहीं है। मोनिका पर अनैतिक कार्य के लिए दबाव बनाने का सबूत उसके खिलाफ नहीं है। सीआईडी निरीक्षक मनोज शर्मा द्वारा 27 दिसंबर 2019 को पेश चालान के अंतिम पृष्ठ पर लिखा गया है कि श्वेता स्वप्निल से जब्त गैजेट्स में उसके व मोनिका के आपत्तिजनक वीडियो हैं। इनके आधार पर उसकी श्वेता विजय जैन व आरती दयाल से संबद्धता और आपराधिक षडयंत्र में शामिल होना प्रमाणित होता है। जिला अभियोजन अधिकारी राजेंद्र उपाध्याय के मुताबिक इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दाखिल करेंगे। नियमानुसार 90 दिन के अंदर पुनरीक्षण याचिका पेश करनी होगी।
- क्या चालान पेश करते समय सीआईडी ने जानबूझकर सबूतों की अनदेखी की?
- जब्त सबूत कहां चले गये। कोर्ट को तो मिले ही नहीं?
- मानव तस्करी केस में श्वेता स्वप्निल को जिन आरोपों के आधार पर आरोपी बनाया था, वो कोर्ट में पेश क्यों नहीं किए?