पोषण आहार के फैसले को लेकर शिवराज का कॉंग्रेस पर तीखा वार, पीसी शर्मा ने भी किया पलटवार।

भोपाल। पोषण आहार का काम निजी हाथो मे देने को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने किया मुख्यमंत्री कमलनाथ पर वार।


शिवराज सिंह ने कहा कि मैं मुख्यमंत्री कमलनाथ जी से पूछना चाहता हूँ कि पोषण आहार का काम निजी कंपनियों और ठेकेदारो के हाथ ने सौंपे का क्या मतलब हैं जबकि कैबिनेट का फैसला इससे कुछ अलग ही था। उन्होने कहा वित्त और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग दोनों का प्रस्ताव था कि पोषाहार के काम का निजीकरण न हो। इसे कैबिनेट ने भी मंजूरी दे दी। बाद में फैसले को 1 से 10 तक यथावत रखा गया। 11वीं कंडिका, जिसमें लिखा था पोषाहार का निजीकरण नहीं किया जाएगा। मैं मुख्यमंत्री कमलनाथ से पूछता हूँ, कि पोषाहार में ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए कैबिनेट का फैसला किसके इशारे पर बदला गया। ऐसी सरकार मैने पहले कभी नहीं देखी, कैबिनेट के फैसले को मुख्य सचिव ने गायब कर दिया। इसका मतलब यह कि एक मुख्य सचिव कैबिनेट के फैसले पर अपना फैसला सुना सकता हैं, अफसरो की इतनी मजाल है, ऐसे में कैबिनेट में शामिल मंत्रियों का क्या औचित्य। उन्हें सामूहिक रूप से इस्तीफा दे देना चाहिए।


 


शिवराज सौंह के द्वारा दिये बयानो पर जन संपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने पलटवार करते हुये कहा कि जो पोषर आहार के फैसले पर सवाल उठा रहे हैं पहले अपने आपको देखे। आपके कार्यकाल में 45 लाख बच्चे कुपोषण के शिकार थे। 13.50 लाख बच्चों की मौत हो गई। 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि योजना से ठेकेदारों को बाहर करें, लेकिन आप उनसे सांठ-गांठ करते रहे। 2009 और 2015 में कैग की रिपोर्ट में कहा गया था कि 30 से 32% पोषण आहार का पैसा कंपनियां खा रही हैं।
वही, मीडिया से बातचीत मे मुख्य सचिव एसआर मोहंती ने कहा कि कैबिनेट के किसी भी निर्णय को बदलने का प्रश्न ही नही उठता है। कैबिनेट बैठक के मिनट्स सक्षम अनुमोदन के उपरांत ही सीएस जारी करता है, उसके बाद ही विभाग आदेश देते हैं। अगर इससे पहले कोई आदेश जारी हुआ है तो वह अनियमित है। मिनट्स आने के पहले और बाद के आदेश की तुलना उचित नहीं है। अनुमोदन के पूर्व जारी किसी भी आदेश का कोई कानूनी अस्तित्व ही नहीं है।