इंदौर। सेंट्रल गवर्नमेंट ऑफिसर्स गृह निर्माण संस्था मामले मे कनाड़िया थाने पहुंचकर डीआईजी ने पीड़ितों से संस्था के जिम्मेदारों द्वारा की गई बदमाशियों और बॉबी व उसके गुर्गों की भूमिकाओं की भी जानकारी ली। जहां उम्रदराज पीड़ितों ने बताया कि जब संस्था का गठन हुआ था, तब 900 लोगों को प्लॉट देने के लिए 64 एकड़ जमीन का सपना दिखाया था, लेकिन अब संस्था के पास 6 एकड़ जमीन बची है और किसी को प्लॉट नहीं मिला।
एमपीईबी से रिटायर्ड अफसर जेजी ठोम्बरे का आरोप है कि सहकारिता के उपायुक्त रहे के. पाटनकर, इंस्पेक्टर सुरेंद्र जैन, जगदीश जलोदिया सहित अन्य ने संस्था के मामले में बॉबी की मदद की। संस्था 1995 में बनाई गई। इसमें 330 से ज्यादा सदस्य बनाए। उन्हें 28 हजार रुपए में प्लॉट देने का कहा गया, लेकिन प्लॉट नहीं मिलने के कारण तभी 130 लोगों ने इस्तीफा दे दिया। 109 लोगों ने प्लॉट का पैसा जमा करना शुरू किया। पैसा नहीं देने से 91 लोग बाहर हो गए। तब संस्था के पास 18 एकड़ जमीन थी, लेकिन भूमाफियाओं ने धीरे-धीरे जमीन बेचने का खेल शुरू कर दिया। जानकारी के बाद अब टीआई-सीएसपी को सहकारी समिति के लोगों व बॉबी के गुर्गों के खिलाफ सबूत इकट्ठा करने का टास्क दिया है। रविवार को कनाड़िया थाने मे बॉबी छाबड़ा सहित अध्यक्ष घनश्याम परमार, उपाध्यक्ष व कोषाध्यक्ष के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया हैं। अब संस्था के सभी पीड़ितों के कोर्ट में 164 में बयान होंगे।