हरियाली लुप्त.........स्मार्ट सिटी के नाम पर स्टेडियम और दशहरा मैदान को बताया भोपाल का ग्रीन एरिया।

भोपाल।  राजधानी शहर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए शहर की ग्रीन जैसे कही लुप्त होती जा रही हैं। स्मार्ट सिटी के नाम पर यहाँ पर अब कुछ 6 से 8% ही ग्रीन रह गया हैं स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट के नाम पर टीटी नगर के 342 एकड़ में सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार 6000 पेड़ थे, अब वहां एक चौथाई से ज्यादा पेड़ काटे जा चुके हैं। बाकी पेड़ भी अगले कुछ दिनों में काटे जाना तय है।


वही, स्मार्ट सिटी के डेवलपमेंट के लिए बनाए मास्टर प्लान में आंकड़ों को पूरा करने के लिए तात्या टोपे स्टेडियम और दशहरा मैदान दोनों को ग्रीन बताया गया है। जबकि यह साफ हैं कि यहां न तो कोई पेड़ लगा है और न कभी लगाया जा सकेगा। जानकारो की माने तो शहर के बीच में 342 एकड़ क्षेत्र म‌ें स्मार्ट सिटी डेवलप करने के पहले न तो कोई सर्वे किया गया और न ही शहर के लोगों से कोई विचार-विमर्श हुआ।  स्मार्ट सिटी के डेवलपमेंट के बाद बमुश्किल 6 से 8% एरिया ही ग्रीन रह जाएगा। टाउन प्लानिंग के मापदंडों के अनुसार 10% ग्रीन एरिया होना चाहिए।
 स्मार्ट सिटी से होने वाली परेशानियाँ- स्मार्ट सिटी के एक सिरे होटल पलाश के सामने सरकारी मकानों के निर्माणाधीन छह टॉवर परेशानी का सबब बनेंगे। इन 1200 मकानों का ट्रैफिक होटल पलाश के सामने जिस सड़क पर आएगा वहां नियमित ट्रैफिक जाम के हालात बनना तय है। इसके अलावा इन मकानों का सीवेज कहां जाएगा? पानी सप्लाई की जो मांग बढ़ेगी उसे पूरा करने के लिए कोई प्लान नहीं है।


अब सवाल यह उठता हैं कि जब गैमन इंडिया और प्लेटिनम प्लाजा जैसे प्रोजेक्ट सफल नहीं हुए तो उसी क्षेत्र में और अधिक कमर्शियल स्पेस डेवलप करने का लाभ कैसे और किसको मिलेगा। स्टेडियम के ठीक सामने हाट बाजार बनाकर उसके डेवलपमेंट को रोका जा रहा है। इसी तरह जिस स्थान पर सिग्नेचर टॉवर के नाम पर कमर्शियल काम्पलेक्स बनाया जा रहा है वह भी ट्रैफिक और अन्य समस्याएं पैदा करेगा।


एक सिटी पार्क बनाया जाए
स्मार्ट सिटी के मौजूदा प्लान को रिव्यू कर बुलेवर्ड स्ट्रीट के पास एक तरफ सिटी पार्क बनाया जा सकता है। इसके साथ ही प्लान में बदलाव कर ग्रीन एरिया को बढ़ाया जा सकता है।