भोपाल। अतिथि विद्वानो द्वारा ढाई महीने से चल रहा आंदोलन शायद अब खत्म होने की सीमा पर आ गया हैं। आयोग के चेयरमैन अजय नाथ, सदस्य वीरेंद्र खोंगल एवं अतिथि विद्वानो के कुछ प्रतिनिधियो के बीच हुई लंबी वार्ता से लगता हैं अतिथि शिक्षको द्वारा नियमितीकरण की मांग के मामले में जल्द ही बीच का कोई रास्ता निकाला जा सकता है। इस वार्ता के दौरान इन प्रतिनिधियो ने आयोग को कई सुझाव दिए हैं। अतिथि विद्वान संघर्ष मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. बीएल दोहरे सहित कई प्रतिनिधि आयोग के समक्ष पहुंचे। दोहरे ने बताया कि नियमितीकरण के लिए क्या विकल्प हो सकते हैं, वित्तीय भार की क्या स्थिति होगी? इन बिंदुओ पर आयोग के सामने सुझाव रखे गए। इस मामले में खोंगल का कहना है कि इनके मामले में शासन से आयोग के पास अभी कोई प्रस्ताव नहीं आया है, लेकिन डॉ॰ दोहरे के साथ प्रतिनिधियो ने आयोग से बातचीत कर सुझाव दिए हैं।
विद्वानो के सुझाव......
- प्रदेश के सरकारी कालेजो में कार्यरत ऐसे अतिथि विद्वान जो यूजीसी अधिनियम 2018 के अनुरुप निर्धारित अहर्ता पूरी करते हैं, इनकी संख्या करीब 2500 है। इन्हें नियमित करने में शासन पर कोई अतिरिक्त वित्तीय भार नहीं आएगा। यूजीसी द्वारा नियमित सहायक प्राध्यापक के वेतन पर आने वाले वित्तीय भार का 50 फीसदी वहन किया जाएगा।
- विभाग एवं विश्व बैंक के साथ हुए अनुबंध के अनुसार - सहायक प्राध्यापको कुल स्वीकृत पदो के 75 फीसदी पद पर नियमित के तौर पर भरे जा सकते हैं
- 1982 में की गई तदर्थ नियुक्ति के दौरान नियुक्त किए गए सहायक प्राध्यापको को 1986-87 में विधानसभा में कानून बनाकर नियमित कर दिया था।
- 1990 में भर्ती किए गए आपाती सहायक प्राध्यापको को विधानसभा में कानून बनाकर 1994, 2003, 2005 एवं 2007 में मानवीय आधार पर नियमित किया था। आदि कई सुझाव दिये गए हैं, अब देखना हैं यह हैं कि यह सुझाव सिर्फ सुने जाते हैं या फिर इन पर कोई एक्शन भी लिया जाएगा।