भोपाल। शहर का एक मात्र अंतरराज्यीय बस अड्डा अव्यवस्थाओ का पर्याय बन चुका है। यहा न तो यात्रियो की सुरक्षा के इंतजाम है और न ही अन्य कोई व्यवस्थाए है। विधुत निगम शाखा ने 60 लाख रुपए का टेंडर खरीददारी के लिए जारी भी किया है, लेकिन बस ये कागजो तक ही सीमित है। आईएसबीटी को शहर का पहला और एकमात्र सर्वसुविधा युक्त इंटर स्टेट बस टर्मिनल बनाया गया है। इसके बावजूद यहा ये आलम है की जहा 60 पंखे लगे होने थे वही पर कुछ टूटे-फूटे पंखे ही दिखाई देते है,जिनकी पंखुड़िया भी मुडी हुई है या गायब है। चौकी मे सुरक्षा के नाम पर मात्र दो कांस्टेबल ही दिखाई देते हे। जबकि इतने बड़े बस टर्मिनल मे दो शिफ़्टों मे 12 कांस्टेबल,4 हेड कांस्टेबल और दो सब कांस्टेबल को तैनात होना चाहिए था। यात्रियो की परेशानी यही खत्म नहीं हो जाती है, उन्हे बस परिसर मे खड़ी कंडम गाड़ियो का भी सामना करना पड़ता है। जबकि ऐसा नियम है कि कोई भी बंद बस परिसर मे खड़ी नहीं होगी। इसके बावजूद यहा वर्मा ट्रेवल्स की 20 बसे बंद खड़ी हुई है, और बस टर्मिनल प्रबंधन एजेंसी भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड इन्हे हटवाने का कोई भी इंजताम नहीं कर रही है।
व्यवस्थाए बनाए रखने मे हो रही परेशानी ........
आईएसबीटी को शहर के सबसे बेहतर बस टर्मिनल के तौर पर विकसित किया गया था। हमने इसमे काफी मेहनत की। व्यवस्थाओ को बनाए रखने मे कुछ दिक्कत हो रही है, जिसमे जल्द ही सुधार किया जाएगा।
कृष्णा गौर (स्थानीय विधायक )