भोपाल। माध्यमिक शिक्षा मण्डल द्वारा बोर्ड परीक्षा मे बड़ी लापरवाही के चलते छात्रा को 100 मे से दस नंबर देने पर हाईकोर्ट ने 30 हजार का जुर्माना लगते हुए, तल्ख मिज़ाज मे कहा कि बोर्ड की इतनी गंभीर लापरवाही के कारण एक मेधावी छात्रा को मानसिक आघात पहुचा। जहा छात्रा को 100 मे से 93 नंबर मिलने थे,वही मात्र 10 नंबर मिले। जस्टिस सुबोध अभ्यंकर ने कहा की, छात्रा की कोई गलती न होते हुए भी उसे कोर्ट मे याचिका दायर करनी पड़ी। जिससे उसका काफी समय बर्बाद हुआ और उसे मानसिक तनाव मे रहते हुए इतना समय काटना पड़ा,जिसके लिए माध्यमिक शिक्षा मण्डल जिम्मेदार है।छात्रा न केवल अदालती खर्च की हकदार है, बल्कि उसे हुए मानसिक तनाव के हर्जाने की भी हकदार है। कोर्ट ने मशिम को 30 हजार रुपए बतौर हर्जाना देने के आदेश दिये। मामला पिछले साल की बोर्ड परीक्षा का है। जब सिलवानी की रहने वाली खुशी सोनी को दसवी की बोर्ड परीक्षा मे गणित के पेपर मे 100 मे से 10 अंक मिले थे। जिससे छात्रा के होश उड़ गए और वो इंसाफ पाने सीधे हाईकोर्ट पहुच गई। खुशी ने याचिका दायर की, कि उसकी उत्तरपुस्तिका किसी से बदल गई है। कोर्ट ने मशिम से जांच कराई तो पता चला की खुशी की उत्तरपुस्तिका किसी अन्य छात्रा रजनी हरदयाल से बदल गई थी। दोनों छात्राओ की कॉपी के एनरोलमेंट नंबर के आखिरी दो नंबर बदल गए थे,जिसके कारण से सब हुआ। जहा खुशी को 100 मे से 93 नंबर मिलने थे,वही मात्र 10 नंबर मिले। कोर्ट के आदेश पर सभी लापरवाहों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई।
उड़ गई थी रिजल्ट देख रातो की नींद ........जब रिजल्ट आया तो देखते ही, मै तो पूरी से तरह से टूट गई थी। मुझे अपने आप पर पूरा भरोसा था,कि मुझे गणित मे 90 से ज्यादा मार्क्स मिलेंगे। जब तक सही रिजेल्ट नहीं आया तब तक मै कई रातो तक ठीक से नही सोई। रात रात भर जाग कर सोचती रहती थी।
( छात्रा खुशी सोनी )